मानवीय भारत पार्टी लोकतंत्र, समाजवाद तथा पंथनिरपेक्षता के सिद्धातों में पूर्ण आस्था रखते हुए भारत को एक समृद्ध, स्वावलम्बी, शक्तिशाली एवं मानवीय मूल्यों से युक्त राष्ट्र के रुप में विश्व पटल पर स्थापित करने को प्रतिबद्ध है। पार्टी देश की एकता और अख्ंडता को अक्षुण्य बनाये रखने के लिये तथा नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता के अधिकार सुनिश्चित करने एवं सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध कराने हेतु सतत् प्रयास करेगी । पार्टी धर्म,जाति,वंश,लिंग तथा क्षेत्र आधारित किसी भी प्रकार के भेदभाव से दूर रहते हुए सभी नागरिकों के अधिकतम कल्याण एवं विकास को कृत संकल्पित है, तथा सभी के बीच प्रेम, सदभाव एवं भाईचारा बढ़ाने को तत्पर होगी । भारतीय संस्कृति की बहुलवादी विशेषताओं को बनाये रखने तथा इन्हें आधुनिक प्रगतिशील मानवीय मूल्यों के अनुरुप आगे बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण को पार्टी अपना दायित्व एवं कर्तव्य मानती है।
अनुच्छेद – 1
(क) दल का नाम – दल का नाम “मानवीय भारत पार्टी ” होगा ।
(ख) दल के झण्डें का निर्धारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा किया जायेगा ।
अनुच्छेद – 2
(क) उद्देश्य –
- भारतीय राजनीति में शुचिता की स्थापना करना तथा राजनीतिक वातावरण को नैतिक मूल्यों का आधार प्रदान करना।
- देश के समस्त नागरिकों का अधिकतम कल्याण एवं विकास तथा उन्हें गरिमामय वातावरण में जीने का अवसर मुहैय्या कराना।
- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण को वास्तविक एवं व्यवहारिक रुप में स्थापित करना तथा सामाजिक न्याय उपलब्ध कराते हुए धन और सम्पति की असमानता को न्यूनतम स्तर पर लाना।
- भारतीय संस्कृति की मूलभूत विशेषताओं तथा मानवीय मूल्यों एवं पर्यावरण का रक्षण ।
- देश को खुशहाली एवं समृद्धि के उच्चतम स्तर तक पहुचाना ।
- देश के लोगों में आधुनिक, वैज्ञानिक, प्रगतिशील मानवीय मूल्यों एवं भावनाओं का संचार करना |
- भारतीय संविधान में पूर्ण आस्था रखते हुए भारत के समस्त नागरिकों में एकता, सहयोग एवं भातृत्व की भावना का विकास करना जो संम्प्रदायवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद तथा लिंग आधारित सभी प्रकार के भेदभावों से परे हो।
(ख)- सिद्धान्त
1 . मानव मात्र के प्रति प्रेम, सदभाव व सम्मान की भावना एवं सभी के कल्याण एवं खुशहाली की कामना।
2 . घृणा तथा दण्ड के स्थान पर प्रेम एवं सुधार की भावना की स्थापना ।
3 . मानव के किसी भी प्रकार के शोषण एवं अपमान का परित्याग ।
4 . निचले पायदान पर स्थ्ति लोगों के प्रति समानुभूति की भावना ।
5 . सहयोग के साथ सशक्तीकरण पर बल।
(ग) – दर्शन
मानवीय भारत पार्टी की मूल सोच में मानव प्रेम, मानव-मानव के बीच सदभाव, मानव कल्याण, परिवर्तशील एवं प्रगतिशील समाज की अवधारण तथा राष्ट्रवाद की भावना निहित है। पार्टी सनातन धर्म के विश्व बन्धुत्व, ईशोपनिषद के कण-कण में ईश्वरीय सत्ता की उपस्थिति, गीता के निष्काम कर्म, बौद्ध धर्म के नैतिक सिद्धान्तों, इसाई धर्म के सेवाभाव तथा इस्लाम के तौहीद और सिक्ख संप्रदाय के सदभाव संबंधी गुरुनानक के विचारों में गहरी आस्था रखती है।
चाणक्य – चन्द्रगुप्त, अकबर तथा नेहरु-पटेल की एकीकृत राष्ट्रीय राज्य की संकल्पना, सम्राट अशोक के धम्म की अवधारणा, गांधी के सत्य , अहिंसा तथा सर्वोदय के विचार, राजा राममोहन राय के प्रगतिशील क्रांतिकारी विचारों एवं क्रियाकलापों, महाराणा प्रताप, भगत सिंह तथा चंद्रशेखर आजाद के त्याग एवं बलिदान, रबीन्द्र नाथ टैगोर के मानववाद, एपीजे अब्दुल कलाम की इंसानियत एवं जवाहरलाल नेहरु के आधुनिक भारत के स्वप्न तथा लोकतांत्रिक समाजवाद से गहरे रुप में पार्टी आबद्ध है।
पार्टी भारतीय संस्कृति को उत्कृष्टता प्रदान करने एवं भारतीय पुनर्जागरण तथा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने वाले तमाम सुधारकों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति पार्टी कृतज्ञ है।
समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय एवं उत्थान तो पार्टी का मूल मंतव्य है ही, साथ-साथ देश के सभी नागरिकों की खुशहाली तथा अन्य देशों से भारत का सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध इसका स्वप्न है।
अनुच्छेद – 3- दल की सदस्यता
दल में दो प्रकार के सदस्य होगें –
- संस्थापक या मूल सदस्य – वे समस्त लोग जो पार्टी की स्थापना की तिथि 19 अप्रैल, 2016 तक दल की स्थापना हेतु अपनी स्वीकृति प्रदान कर दिये और दल की प्राथमिक सदस्यता की निर्धारित राशि रु.10 और संस्थापक सदस्यता की निर्धारित राशि रु. 1000 जमा कर दिये, दल के संस्थापक या मूल सदस्य माने जायेगें। इनकी सदस्यता आजीवन होगी बशर्ते कि ये त्यागपत्र न दे दें अथवा पार्टी द्वारा संविधान का उल्लंघन या अनुशासहीनता करने के आरोप में निर्धारित प्रक्रिया से इन्हें सदस्यता से हटा न दिया गया हो। दल का मूल सदस्य आजीवन दल का सक्रिय सदस्य माना जायेगा।
- पार्टी की स्थापना के बाद बने सदस्य- भारत का जो भी नागरिक 18 वर्ष की आयु पार कर लिया हो तथा भारतीय संविधान और पार्टी के संविधान में पूर्ण आस्था व्यक्त करता हो वह पार्टी की सदस्यता प्राप्त कर सकेगा। यह सदस्यता निम्नलिखित दो प्रकार की होगी –
- प्राथमिक सदस्य- देश का कोई भी नागरिक निर्धारित आवेदन पत्र भरकर और 10 रुपये की राशि जमा करके दल की प्राथमिक सदस्यता प्राप्त कर सकेगा । ( सं.1) यह सदस्यता 10 वर्ष के लिये होगी। इस अवधि की समाप्ति पर निर्धारित राशि पुनः जमा करके इसका नवीनीकरण कराया जा सकेगा तथा यह कितनी ही बार कराया जा सकेगा।
- सक्रिय सदस्य- पार्टी का कोई प्राथमिक सदस्य निर्धारित आवेदन पत्र भरकर तथा 100 रुपये की राशि जमा करके पार्टी की सक्रिय सदस्यता प्राप्त कर सकता है। (सं.2) पार्टी के सभी पदों पर केवल सक्रिय सदस्य को ही निर्वाचित एवं मनोनित किया जा सकेगा।
यह सदस्यता 10 वर्ष के लिये होगी। इस अवधि की समाप्ति पर निर्धारित राशि पुनः जमा करके इसका नवीनीकरण कराया जा सकेगा तथा यह कितनी ही बार कराया जा सकेगा।
अनुच्छेद – (4)- दल के घटक
1.राष्ट्रीय स्तर –
- राष्ट्रीय परिषद – प्रत्येक राज्य परिषद के सदस्य अपने में से 10 प्रतिषत सदस्यों को राष्ट्रीय परिषद के लिए चुनेगें।
पहली राष्ट्रीय परिषद के सदस्य पार्टी के सभी मूल अथवा संस्थापक सदस्य होगें।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी – राष्ट्रीय परिषद अपने सदस्यों में से एक को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित करेगी तथा अपने में से 21 अन्य सदस्यों को कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित करेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष परिषद के सदस्यों में से अधिकतम 7 को कार्यकारिणी सदस्य के रुप में मनोनीत कर सकेगा। इस प्रकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में निम्नलिखित शामिल होगें-
- पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जो कार्यकारिणी का भी अध्यक्ष होगा।
- परिषद द्वारा निर्वाचित किये गये 21 सदस्य
- अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किये गये अधिकतम 7 सदस्य
संसदीय बोर्ड संसद एवं राज्य विधान मण्डलों के लिए प्रत्याशियों के चयन की शीर्ष संस्था होगी। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने हेतु सिंबल एलाट करेगा।
ग. केन्द्रीय संसदीय बोर्ड- केन्द्रीय संसदीय बोर्ड में कुल 8 सदस्य होगें-
- पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष
- पार्टी का लोकसभा में नेता
- पार्टी का राज्यसभा में नेता
- पार्टी का एक महासचिव जिसे प्रथम महासचिव का दर्जा प्राप्त हो
- पार्टी की कार्यकारिणी द्वारा कार्यकारिणी में से ही निर्वाचित दो सदस्य
- अध्यक्ष द्वारा कार्यकारिणी सदस्यो में से मनोनीत अधिकतम 2 सदस्य
संसदीय बोर्ड संसद एवं राज्य विधान मण्डलों के लिए प्रत्याषियों के चयन की शीर्ष संस्था होगी। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही प्रत्याषियों को चुनाव लड़ने हेतु सिंबल एलाट करेगा।
- राज्य स्तर –
क. राज्य परिषद- इसके निए राज्य के प्रत्येक जिले तथा नगर महापालिका एवं नगर पालिका की परिषद द्वारा अपने में से अपनी संख्या के 10 प्रतिशत सदस्य निर्वाचित किये जायेगें।
ख. राज्य कार्यकारिणी- राज्य परिषद अपने सदस्यों में से एक को अध्यक्ष तथा अपनी कुल संख्या के 10 प्रतिशत सदस्य निर्वाचित करेगी जिनसे मिलकर राज्य कार्यकारिणी का निर्माण होगा।
- जिला स्तर –
- जिला परिषद – इसमें प्रत्येक ब्लाक के 5 प्रतिनिधि तथा प्रत्येक नगर पंचायत क्षेत्र से दो-दो प्रतिनिधि आयेगें जो सम्बंधित ब्लाक विकास परिषद / नगर पंचायत क्षेत्र के प्राथमिक सदस्यों द्वारा उन लोगों में से निर्वाचित किए जायेगें जो पार्टी के सक्रिय सदस्य हों ।
- जिला कार्यकारिणी – जिला परिषद अपने सदस्यों में से एक को अध्यक्ष तथा 10 अन्य सदस्यों का निर्वाचन करेगी जिनसे मिलकर जिला कार्यकारिणी का गठन होगा।
- ब्लाक स्तर –
क. ब्लाक परिषद – ब्लाक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त प्राथमिक सदस्य ब्लाक परिषद के सदस्य होगें।
ख. ब्लाक कार्यकारिणी – ब्लाक परिषद के सदस्य अपने में से जो सक्रिय सदस्य होगें एक अध्यक्ष तथा कार्यकारिणी के 10 अन्य सदस्यों का निर्वाचन करेगें।
- नगर निगम / नगर पालिका स्तर –
प्रत्येक नगर निगम तथा प्रत्येक नगर पालिका के लिए जिला स्तर से अलग स्वतंत्र स्तर होगा जबकि नगर पंचायत सटे हुए ब्लाक स्तर के साथ सम्मिलित होगी। नगर निगम तथा नगर पालिका स्तर में निम्नलिखित दो शामिल होगें-
- नगर निगम/नगर पालिका परिषद – इसमें प्रत्येक वार्ड से दो प्रतिलिधि होगें जिनका निर्वाचन संबधित वार्ड के प्राथमिक सदस्यों द्वारा किया जायेगा ।
- नगर निगम/नगर पालिका कार्यकारिणी – नगर निगम/नगर पालिका परिषद अपने में से एक को अध्यक्ष तथा 10 अन्य सदस्यों का चुनाव करेगी जो सम्मिलित रुप से कार्यकारिणी कहलाएगी ।
मनोनयन – राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की कार्यकारिणी में अध्यक्ष संबंधित परिषद के सदस्यों में से कुछ को मनोनित कर सकेगा। परंतु यह सदस्य संख्या कार्यकारिणी के कुल सदस्य संख्या के 25 प्रतिषत से अधिक नहीं होगी ।
महिलाओं, अनुसूचित जातियों/जनजातियों तथा अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व – पार्टी के सभी निकायों में कम से कम 20 प्रतिशत स्थान महिलाओं को दिया जायेगा। अनुसूचित जातियों/ जनजातियों तथा अल्पसंख्यको को पार्टी के प्रत्येक निकाय में समुचित प्रतिनिधित्व प्राप्त होगा।
कार्यकाल – प्रत्येक स्तर की परिषद एवं कार्यकारिणी का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा।
अनुच्छेद – (5)- दल के पदाधिकारी
राष्ट्रीय स्तर पर –
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी – इसमें एक अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय परिषद द्वारा निर्वाचित और अध्यक्ष द्वारा मनोनित कुछ सदस्य शामिल होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारिणी के सदस्यों में से अधिकतम 3 महासचिव, 2 उपाध्यक्ष, 3 सचिव तथा 1 कोषाध्यक्ष नियुक्त करेगा। केन्द्रीय कार्यकारिणी कार्यपालक दृष्टि से पार्टी की शीर्ष संस्था होगी यधपि इसके निर्णयों को राष्ट्रीय परिषद द्वारा निर्धारित तरीके से अनुमोदित होना आवष्यक होगा। नीतिगत मामलों में अंतिम निर्णय राष्ट्रीय परिषद द्वारा ही किया जायेगा।
- केन्द्रीय संसदीय बोर्ड- यह संसद तथा राज्य विधान मण्डल की सदस्यता हेतु प्रत्याशियों के चयन की तथा विधायिका में उठाये जाने वाले मामलों पर सुझाव देने वाली शीर्ष संस्था होगी।
- राष्ट्रीय अध्यक्ष – राष्ट्रीय परिषद तथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने तथा उसकी अध्यक्षता करने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास होगा। अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समस्त अधिकारों का प्रयोग स्वतः भी कर सकेगा, बशर्ते कि उसके निर्णय की पुष्टि राष्ट्रीय कार्यकारिणी तीन महीने के अन्दर कर दे। राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह अधिकार होगा कि वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से किसी को भी किसी पदनाम (जैसा कि उचित समझे ) से अपना कोई दायित्व तथा कोई अन्य संविधान सम्मत दायित्व सौंप सकेगा। प्रदेश संगठन के निर्मित न होने पर अथवा प्रदेश संगठन में अराजकता की स्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अनुमोदन से राज्य के लिए पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा जो तब तक काम करेगा जब तक कि निर्धारित तरीके से राज्य की कार्यकारिणी का गठन नहीं हो जाता । संसद तथा राज्य विधान मण्डल के चुनाव के लिए प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह देने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष का होगा ।
(सं.3) राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकार होगा की वह कभी भी संगठन संबधी सभी अथवा किन्ही (जिन्हे वह उचित समझे) इकाइयों को भंग करके सभी अधिकार अपने हाथ मे ले सकता है और निर्धारित समय पर चुनाव कराने की घोषणा कर सकता है ।
- उपाध्यक्ष – अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरिष्ठता क्रम के अनुसार कोई उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के दायित्वों का निर्वहन तथा अधिकारों का प्रयोग करेगा ।
- महासचिव- राष्ट्रीय कार्यकारिणी और केन्द्रीय परिषद के समस्त पत्रव्यहार एवं अभिलेखों की देखरेख का दायित्व महासचिव ही करेगा। अध्यक्ष इन्हें राज्यवार विशेष जिम्मेदारी सौंप सकेगा ।
- कोषाध्यक्ष- कोषाध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी के कोष का प्रबन्ध तथा रख-रखाव करेगा।
राज्य स्तर पर
- प्रदेष कार्यकारिणी – इसमें एक अध्यक्ष तथा राज्य परिषद द्वारा निर्वाचित किये गये और अध्यक्ष द्वारा मनोनित किये जाने वाले कुछ सदस्य शामिल होगें। अध्यक्ष कार्यकारिणी सदस्यों में से अधिकतम 3 को महामंत्री, 2 उपाध्यक्ष, 5 सचिव तथा 1 कोषाध्यक्ष नियुक्त कर सकेगा। राज्य स्तर पर पार्टी गतिविधियों पर राज्य कार्यकारिणी पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण रखेगी तथा पार्टी अध्यक्ष राज्य में पार्टी की समस्त गतिविधियों का पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण करेगा तथा जिला इकाइयों के भंग होने पर इनका गठन कर सकेगा ।
जिला, ब्लाक एवं नगर निगम अथवा नगर पालिका कार्यकारिणी में अध्यक्ष तथा कुछ निर्वाचित सदस्य होगें। सम्बंधित अध्यक्ष कार्यकारिणी सदस्यों में से उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा ।
अनुच्छेद – (6)- विवादों के निपटान एवं अनुशासन के नियम –
ब्लाक, जिला, नगर निगम तथा नगर पालिका के स्तर की इकाइयों में उठे समस्त विवादों एवं अनुशासनहीनता मामलों पर प्राकृतिक न्याय के नियमों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने का अधिकार प्रदेश कार्यकारिणी के पास होगा यधपि इसकी अपील राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समक्ष की जा सकेगी । प्रदेश स्तर की इकाइयों में उठे किसी विवाद अथवा अनुशासनहीनता के मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास होगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा इस संबंध में लिये गये सभी निर्णय अंतिम होगें ।
अनुच्छेद – (7) – काम काज की प्रक्रिया
क. चुनाव – प्रत्येक तीन वर्ष की अवधि की समाप्ति के पूर्व पार्टी के सभी स्तरों के चुनाव करायें जायेंगें ।
ख. निर्णय- सभी स्तर की इकाइयों में निर्णय बहुमत द्वारा लिये जायेगें। दोनो तरफ मत बराबर होने पर अध्यक्ष निर्णायक मत दे सकेगा ।
ग. बैठक- प्रत्येक स्तर की कार्यकारिणी की 3 महीने में एक बैठक होना अनिवार्य होगी जो अध्यक्ष द्वारा बुलायी जायेगी। अध्यक्ष अथवा कार्यकारिणी के कम से कम आधे सदस्य 7 दिन की पूर्व सूचना पर विशेष बैठक बुला सकेगें ।
राष्ट्रीय परिषद, राज्य परिषद, जिला परिषद, नगर निगम/नगर पालिका परिषद तथा ब्लाक परिषद की वर्ष में कम से कम एक वार्षिक बैठक बुलाया जाना आवश्यक होगा जिसे अध्यक्ष आहूत करेगा। संबंधित अध्यक्ष 14 दिन की पूर्व सूचना पर विशेष बैठक आहूत कर सकेगा ।
- विषेष – राष्ट्रीय परिषद की वार्षिक बैठक में प्रमुख राजनीतिक दलों को अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित किया (सं.4) जा सकता हैं जिससे देश के अन्य राजनीतिक दलों के विचारों को पार्टी के कार्यकर्ता जान एवं समझ सकें ।
ड. गणपूर्ति (कोरम)
प्रत्येक स्तर की परिषद की बैठक के लिए आवश्यक होगा कि उसकी तत्समय कुल सदस्य संख्या के कम से कम 1/3 सदस्य उपस्थित हों ।
प्रत्येक स्तर कार्यकारिणी की बैठक के लिए आवश्यक होगा की तत्समय उसकी कुल सदस्य संख्या के कम से कम आधे सदस्य उपस्थित हों ।
अनुच्छेद – (8)- कोष एवं लेखे –
केन्द्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर लेखों और कोष की देख – रेख संबंधित अध्यक्ष के निदेशन में कोषाध्यक्ष द्वारा किया जायेगा। पार्टी का कोष राजनीतिक कार्यो के लिए ही इस्तेमाल किया जायेगा ।
प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 6 माह के अन्दर आय – व्यय का विवरण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पैनल द्वारा समपरीक्षित करवाकर निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा ।
पार्टी अपने वित्तीय लेखों के रख-रखाव में आयोग द्वारा समय – समय पर जारी अनुदेशों का पालन करेगी ।
अनुच्छेद – (9)- संविधान में संषोधन एवं संविधान की व्याख्या
पार्टी के संविधान में संशोधन का अधिकार राष्ट्रीय परिषद को होगा। संविधान संशोधन का प्रस्ताव कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से पारित होना चाहिए। ऐसा कोई प्रस्ताव तभी लाया जा सकेगा जब परिषद के कम से कम 1/4 सदस्य लिखित रुप में हस्ताक्षर करके इस हेतु अध्यक्ष से अनुरोध करें। अनुच्छेद 11 में कोई संशोधन नही किया जा सकेगा ।
पार्टी के संविधान की व्याख्या राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा की जायेगी जिसका निर्णय सभी स्तर की इकाइयों एवं इनके सदस्यों पर बाध्यकारी होगा ।
अनुच्छेद – (10)-विलयन, विभाजन एवं विघटन की प्रक्रिया
मानवीय भारत का किसी अन्य पार्टी के साथ विलयन का निर्णय केन्द्रीय कार्यकारिणी के कम से कम 2/3 बहुमत से लिया जायेगा बशर्ते की 1 महीने के अन्दर राष्ट्रीय परिषद उक्त निर्णय को अपनी कुल सदस्य संख्या के 2/3 बहुमत से अनुमोदित कर दे ।
यदि राष्ट्रीय परिषद के कम से कम 1/2 सदस्य एक साथ पार्टी छोड़कर किसी अन्य दल का गठन करते हैं तो उनके विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकेगी तथा इसे पार्टी के सैद्धान्तिक विभाजन के रुप में स्वीकार किया जायेगा ।
यदि पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की कुल सदस्य संख्या के कम से कम 2/3 सदस्य पार्टी को विघटित करने संबंधी प्रस्ताव पर सहमति दे देते हैं तो पार्टी का विघटन हो जायेगा। परन्तु परिषद में ऐसा कोई प्रस्ताव तभी लाया जायेगा जब पार्टी के कम से कम 1/2 सदस्य इस हेतु अध्यक्ष से अनुरोध करेगें ।
पार्टी का विलयन, विभाजन तथा विघटन होने की होने की स्थिति में इसकी सूचना तत्समय पार्टी अध्यक्ष द्वारा निर्वाचन आयोग को देना आवश्यक होगा ।
अनुच्छेद – (11)
क. मानवीय भारत पार्टी विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति तथा समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धान्तों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगी तथा भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखेगी ।
ख. मानवीय भारत पार्टी किसी भी प्रकार की हिंसा को प्रोत्साहित या उत्तेजित नहीं करेगी और न ही उसमें भाग लेगी ।
ग. मानवीय भारत पार्टी अपने पंजीकरण के बाद यथा शीघ्र निर्वाचन आयोग द्वारा कराए जाने वाले निर्वाचनों में भाग लेगी तथा किसी भी स्थिति में यह समय सीमा 2 वर्ष से अधिक नही होगी तथा उसके पश्चात् चुनावों में भाग लेना जारी रखेगी ।
मानवीय भारत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 क (5) के अधीन अनिवार्य समस्त प्रावधानों का सम्मान करेगी तथा निर्वाचन आयोग के प्रत्येक निर्देशों का अनुपालन करेगी ।
पार्टी संविधान में संशोधन
- राष्ट्रीय परिषद की वार्षिक बैठक मे जो 5 मई 2019 को हुयी पार्टी के संविधान मे निम्नलिखित संषोधन किए गये।
क. संषोधन (1) – पार्टी के अनुच्छेद 3 (ख)(1) मे दिये गये शब्दों “ बशर्ते की वह अन्य किसी पंजीकृत राजनीतिक दल का सदस्य न हो “ को निरसित कर दिया गया ।
ख. संषोधन (2) – पार्टी के अनुच्छेद 3 (ख)(2) मे दिये गये शब्दों “ प्रत्येक सक्रिय सदस्य के लिए यह आवश्यक होगा कि वह पार्टी मे कम से कम 25 नये प्राथमिक सदस्य अवश्य शामिल करे ” को निरसित कर दिया गया ।
ग. संषोधन (3) – पार्टी के अनुच्छेद 5 (3) मे निम्नलिखित बातें जोड़ी गयी “ (सं.) राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकार होगा की वह कभी भी संगठन संबधी सभी अथवा किन्ही (जिन्हे वह उचित समझे) इकाइयों को भंग करके सभी अधिकार अपने हाथ मे ले सकता है और निर्धारित समय पर चुनाव कराने की घोषणा कर सकता है।“
घ. संषोधन (4) – पार्टी के अनुच्छेद 7(घ) मे दिये गये शब्दों “ आमंत्रित किया जाएगा“ के स्थान पर “अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित किया जा सकता है “ प्रतिस्थापित किया गया ।